Wednesday, October 27, 2010

भगवान को कौन प्रिय है

भगवत गीता अदभुत ग्रंथ है जिसे जितने बार भी पढ़ो सदैव नवीनता का अहसास ही होता है । मन में उठ रहे हर प्रश्न का उत्तर इसमें समाहित पाया है । मैंने कई बार कई दृष्टिकोण से इसे पढ़ा हर बार उस दिशा में उठ रहे सवालों का जवाब बड़ी संजीदगी से पाया है । आज जब गीता पढ़ते हुए मैं यह सोच रहा था की आखिर "भगवान को कौन प्रिय है"  मैंने जो पाया वो आप सभी के चिंतन के लिये प्रस्तुत है ॰॰॰॰॰॰

भगवान को कौन प्रिय है

द्वेषभाव रहित
स्वार्थ रहित
दयालू
अहंकार से रहित
सुख-दुख में सम
क्षमावान
निरंतर संतुष्ट
मन, इंद्रियों, शरीर पर नियंत्रण
दृढ़ निश्चयी
मन बुद्धि भगवान में अर्पण करने वाला
किसी को तनाव ना देने वाला
किसी से तनाव ना लेने वाला
हर्ष, भय जलन और उद्वेग से रहित
आकांक्षा से रहित
बाहर भीतर से शुद्ध
चतुर
पक्षपात रहित
त्यागी
हर्ष, द्वेष, शोक कामना से रहित
शुभ अशुभ कर्मों का त्यागी
भक्ति युक्त
शत्रु-मित्र, मान अपमान में सम
सर्दी-गर्मी और सुख दुख में सम
आसक्ति रहित
निंदा व स्तुति को समान समझने वाला
मननशील
किसी भी प्रकार शरीर के निर्वाह में संतुष्ट
रहने के स्थान में आसक्ति रहित
स्थिर बुद्धि इत्यादी ॰॰॰॰॰

बृजमोहन बिस्सा 27-10-2010

12 comments:

  1. अतिसुंदर ॰॰॰ आपका अध्ययन वाकई आत्मविश्वास बढ़ाने वाला है ॰॰॰॰ निरंतरता की आपसे अपेक्षा रहेगी ॰॰॰ शुभकामनायें

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  2. tau ji bari prasanta hoyi hai ye dekh kar ap jese chand logo ne sahitya ko samhal kar rakha hai.

    apke liye
    sat sat abhinandan

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  3. अतिसुंदर ॰॰॰
    shrii gitaa ....se prapt vyvhaarik gyaan ko
    aapne bataayaa
    svyam anubhav karke

    bahut khub .....mahoday

    kishor

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  4. kabiletarif, tau jee meri taraf se mangal kamna....

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  5. अच्छा ब्लॉग बनाया हैं....

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  6. भगवान का चित्रण..... अद्भुत.....और रोंगटे खड़े करने वाला हैं....!!!

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  7. भगवान को कौन प्रिय है ?
    bahoot achi taraha se sachi baat kahi he aap ne.. sundar rachna sir..

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  8. anand ki anubhuti huee padhakar .... gita ki gaharaee me jakar aapne jo amritpan kraya hai usake liye aapke prati jitana abhar prakat kiya jaye kam hoga .... shubhkamanayen.....

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  9. अति निर्मल और सार्थक सन्देश.....
    आत्म-तुष्टि हुई आपके ब्लॉग पर आकार.....


    आभार आपका...
    .
    चार पल की जिंदगी है, प्रेम की गाथा पुरानी,
    मन मेरे तू गाये जाना, लिखना नयी कहानी

    शुभ-कामनाएं...
    सादर
    गीता

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  10. भगवद गीता तो मैंने पढ़ा नहीं, लेकिन जो प्रिय हैं भगवान को उनका बहुत हू सुन्दर चित्रण किया है आपने..

    आपका ब्लॉग अच्छा लगा सर...

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  11. जय श्री कृष्ण...आपका लेखन वाकई काबिल-ए-तारीफ हैं....नव वर्ष आपके व आपके परिवार जनों, शुभ चिंतकों तथा मित्रों के जीवन को प्रगति पथ पर सफलता का सौपान करायें .....मेरी कविताओ पर टिप्पणी के लिए आपका आभार ...आगे भी इसी प्रकार प्रोत्साहित करते रहिएगा ..!!

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  12. बहुत शानदार ब्लाग है, पढ़कर आत्म संतुष्टी हुई। शुभकामनायें॰॰॰ हरीश वर्मा रायपुर (छ॰ग॰)

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