भगवान को कौन प्रिय है
द्वेषभाव रहित
स्वार्थ रहित
दयालू
अहंकार से रहित
सुख-दुख में सम
क्षमावान
निरंतर संतुष्ट
मन, इंद्रियों, शरीर पर नियंत्रण
दृढ़ निश्चयी
मन बुद्धि भगवान में अर्पण करने वाला
किसी को तनाव ना देने वाला
किसी से तनाव ना लेने वाला
किसी से तनाव ना लेने वाला
हर्ष, भय जलन और उद्वेग से रहित
आकांक्षा से रहित
बाहर भीतर से शुद्ध
चतुर
पक्षपात रहित
त्यागी
हर्ष, द्वेष, शोक कामना से रहित
शुभ अशुभ कर्मों का त्यागी
भक्ति युक्त
शत्रु-मित्र, मान अपमान में सम
सर्दी-गर्मी और सुख दुख में सम
आसक्ति रहित
निंदा व स्तुति को समान समझने वाला
मननशील
किसी भी प्रकार शरीर के निर्वाह में संतुष्ट
रहने के स्थान में आसक्ति रहित
स्थिर बुद्धि इत्यादी ॰॰॰॰॰
बृजमोहन बिस्सा 27-10-2010